हिंदुस्तान कंपनी कर रही उत्पीड़न
नई टिहरी। टिहरी वांध परियोजना के पीएसपीओ के निर्माण से जुडी़ हिंदुस्तान कंपनी में कान्ट्रेक्ट बेस पर रखे गए स्थानीय कार्मिक युवाओं को कम मानदेय देने और कार्य के दौरान अस्वस्थ होने पर इलाज का खर्च भी नहीं देने की शिकायतें आ रही हैं। बताया गया कि झूठे साक्ष्य तैयार कर कई दिनो की अनुपस्तिथि दिखाकर की मानदेय भी काटा जा रहा है। इस मामले में कंपनी में कार्यरत रिवंद्र डोभाल ने टीएचडीसी प्रबंधन को पत्र लिखकर शिकायत की है।
टिहरी वांध विस्थापित और बी०फार्मा प्रशिक्षित स्थानिय युवा रविंद्र डोभाल हिंदुस्तान कंपनी की डिस्पेंसरी में बतौर फार्मेसिस्ट तैनात है। उन्हे श्रम श्रेणी मे फार्मेसिस्ट के लिए निर्धारित मानदेय से कम पैसा दिया जा रहा है। वाजिब हक की मांग करने पर उन्हे मानसिक रूप से उत्पीड़ित कर कार्य छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है। ऐसा नहीं करने पर साजिशन उपस्थिति के बावजूद अनुपस्तिथत दिखाया जा रहा है। साथ ही उनका अवशेष मानदेय एवं ओवर टाइम का पूर्ण भुगतान भी नहीं किया जा रहा है। ऐसे में रविंद्र ने अधीशासी निदेशक टी०एच०डी ०सी० को पत्र भेजकर अपना पक्ष रखा है।
पत्र में रविन्द्र डोभाल ने बताया उन्हें डेढ़ वर्ष पहले कान्ट्रेक्ट बेस पर कंपनी की डिस्पेन्सरी में तैनात किया गया था। पिछले वर्ष के कोविड काल और इस वर्ष कोविड काल मे कंपनी की डिस्पेन्सरी में काम करने के दौरान ही उन्होंने कंपनी प्रबंध के निर्दश पर कार्मिको को हिमालयन अस्पताल जौली ग्रांट आदि अस्पतालो में पहुंचा कर उनकी तीमारदारी भी की। इसके लिए कंपनी ने कोई आवासीय सुविधा भी नहीं दी। उन्होंने अस्पतालो के फर्श पर लेटकर मरीज़ों की देखभाल की।
उन्होंने कंपनी प्रबधन व कान्टेक्ट एजेंसी पर श्रम अधिनियमों के तहत फार्मासिस्ट कार्य के लिए निरधारित मानदेय देने के साथ ही उनका पूरा आवेरटाइम दिलाने की मांग की। कार्य करने के वाबजूद जबरन अनुपस्थित दिखाकर उनका मानसिक उत्पीड़न कर षडयंत्र के तहत कार्य से हटाने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग भी की।
रविन्द्र डोभाल ने इस प्रकरण की जानकारी विधायक टिहरी को देकर न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। बताया कि यदि उनको वाजिब मानदेय नहीं मिला तो वह कंपनी प्रबंधन के विरुद्ध श्रम कानूनों के तहत वाद दायर करेंगे। साथ ही कंपनी के स्थानिय प्रबंधन की कार गुजारियों का भी खुलासा करेंगे।
गौरतलब है कि दो वर्ष पहले भी कंपनी में विभिन्न कार्यो पर रोजगार में लगे लगभग दो सौ से अधिक स्थानीय युवाओं को हटाने का भी कंपनी पर आरोप लग चुका है।