उत्तराखंडराजनीति

संजीव आर्य के लिए नैनीताल विधानसभा सीट बनी हुई है चुनौतीपूर्ण

नैनीताल । नैनीताल विधान सभा सीट पर राज्य बनने के बाद अब तक हुए चार विधानसभा चुनाव में कोई विधायक दोबारा नहीं बना है । इस मिथक को तोड़ना इस बार भी संजीव आर्य के लिये बड़ी चुनौती साबित हो रहा है ।

नैनीताल विधान सभा के 2002 में हुए चुनाव में उक्रांद के डॉ0 नारायण सिंह जंतवाल विजयी रहे थे । तब उन्होंने कांग्रेस की जया बिष्ट को 2347 मतों से हराया था । डॉ0 जंतवाल को 10864, कांग्रेस की जया बिष्ट को 8517,बसपा के डॉ0 भूपाल भाकुनी को 7499 व भाजपा की शांति मेहरा को 6936 मत मिले थे । तब इस सीट पर 17 प्रत्याशी मैदान में थे ।

2007 में उक्रांद के डॉ0 जंतवाल भाजपा के खड़क सिंह बोहरा से महज 367 मतों से हार गए । तब खड़क सिंह बोहरा को 12342 व डॉ0जंतवाल को 11980 मत मिले थे । कांग्रेस की जया बिष्ट को 11164, एन सी पी के डॉ0 हरीश बिष्ट को 6267 व बसपा के महेश भट्ट को 6079 मत मिले थे ।

नए परिसीमन के बाद 2012 में आरक्षित घोषित हुई नैनीताल सीट पर कांग्रेस की सरिता आर्य विजयी रही । सरिता आर्य को 25563 व भाजपा के हेम आर्य को 19255 मत मिले । जबकि बसपा के संजय कुमार संजू को 4460, उक्रांद के विनोद कुमार को 763,सपा के देवेंद्र देवा को 503,निर्दलीय पदमा देवी को 878 मत मिले । 2017 में 15 दिन पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए संजीव आर्य ने कांग्रेस की सरिता आर्य को 7247 मतों से हरा दिया । तब संजीव आर्य को 30036 व सरिता आर्या को 22789 मत मिले । निर्दलीय हेम आर्य को 5505,निर्दलीय के एल आर्य को 1035,बसपा के सुंदरलाल आर्य को 997 मत मिले थे ।

इस प्रकार नैनीताल से दोबारा कोई प्रत्याशी विधायक नहीं रहा । इस बार भाजपा के निवर्तमान विधायक और अब कांग्रेसी प्रत्याशी संजीव आर्य को यह मिथक तोड़ना हालांकि राज्य बनने से पहले भाजपा के बंशीधर भगत तब नैनीताल रामनगर कालाढुंगी सीट से तीन बार 1991,1993 व 1996 में विधायक रहे । इससे पहले 1985 व 1989 में कांग्रेस के किशन सिंह तड़ागी दोबार विधायक रहे हैं ।

 

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